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गांवों में आधार से जुड़ सकती हैं संपत्तियां, जमीन के रिकॉर्ड में मोबाइल और पते भी होंगे अपडेट

गांवों में आधार से जुड़ सकती हैं संपत्तियां, जमीन के रिकॉर्ड में मोबाइल और पते भी होंगे अपडेट

स्वेच्छा और सहमति से ही सही केंद्र सरकार ने गांवों में संपत्तियों के रिकॉर्ड को आधार से जोड़ने और मोबाइल नंबर अपडेट कराने की दिशा में काम शुरू किया है। ग्रामीण भूमि रिकार्ड के आधुनिकीकरण और डिजिटाइजेशन के अपने महत्वपूर्ण कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार ने जमीन के अधिकार के मामले में सभी भू स्वामियों और अंशधारकों के आधार को रिकॉर्ड से जोड़ने को महत्वपूर्ण माना है।

गांवों में आधार से जुड़ सकती हैं संपत्तियां, जमीन के रिकॉर्ड में मोबाइल और पते भी होंगे अपडेट


स्वेच्छा और सहमति से ही सही, केंद्र सरकार ने गांवों में संपत्तियों के रिकॉर्ड को आधार से जोड़ने और मोबाइल नंबर अपडेट कराने की दिशा में काम शुरू किया है।


आधार को रिकॉर्ड से जोड़ने को महत्वपूर्ण

ग्रामीण भूमि रिकार्ड के आधुनिकीकरण और डिजिटाइजेशन के अपने महत्वपूर्ण कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार ने जमीन के अधिकार के मामले में सभी भू स्वामियों और अंशधारकों के आधार को रिकॉर्ड से जोड़ने को महत्वपूर्ण माना है।

इसी तरह मोबाइल नंबर और भू स्वामियों के पते को भी इसमें अपडेट करने पर जोर दिया गया है। आधार प्रमाणीकरण भले ही अनिवार्य नहीं है, लेकिन इससे जमीन के रिकॉर्ड में पारदर्शिता लाने में मदद मिलेगी।


ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन के रिकॉर्ड के आधुनिकीकरण का काम पूरा


इसी संदर्भ में सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन के रिकॉर्ड के आधुनिकीकरण और डिजिटाइजेशन का काम पूरा करें जिससे वे सटीक और अद्यतन हों। इसी से सरकारी योजनाओं और बैंकिंग सेक्टर से उन्हें किसी अवरोध के बिना सुगम तरीके से जोड़ा जा सकेगा।

इस साल बजट और गत वर्ष अंतरिम बजट में केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में राज्य सरकारों की ओर से व्यापक भूमि सुधार में सहायता देने की घोषणा की थी। इसके लिए नेशनल जियोस्पैटियल मिशन का एलान किया गया था।


सरकार की योजना पीएम गतिशक्ति का इस्तेमाल करते हुए इस मिशन के जरिये गांवों में जमीन के सभी रिकॉर्ड का आधुनिकीकरण करने और शहरी नियोजन की दिशा तय करने की है।

गांवों में जमीन के रिकॉर्ड को लेकर बड़े पैमाने पर सुधार होंगे

वित्त मंत्रालय ने इससे संबंधित जो योजना ग्रामीण विकास और आवास व शहरी कार्य मंत्रालय के साथ-साथ राज्य सरकारों के साथ साझा की है, उसके अनुसार गांवों में जमीन के रिकॉर्ड को लेकर बड़े पैमाने पर सुधार किए जाने हैं।

उदाहरण के लिए मौजूदा स्वामित्व के आधार पर सभी लैंड पार्सल का उपवर्गीकरण, जिससे भूमि रिकार्ड के माध्यम से कब्जे, स्वामित्व और इस्तेमाल की तस्वीर एकदम साफ हो सके तथा सभी नक्शों के सत्यापन के लिए फिर से सर्वे।


विशिष्ट पहचान संख्या (भू-आधार) जारी करना अनिवार्य
दूसरे चरण में सभी भूमि के लिए विशिष्ट पहचान संख्या (भू-आधार) जारी करना अनिवार्य है। इसके साथ ही सरकार ने इस पर भी जोर दिया है कि जमीन के रिकार्ड और नक्शों को लेकर जो विभिन्नताएं औऱ विसंगतियां हैं, उन्हें प्राथमिकता दूर किया जाए।

इनके इतने ज्यादा प्रारूप हैं कि कोई भी उन्हें आसानी से समझ नहीं सकता। यहां तक कि उनके लिए प्रयुक्त होने वाले शब्द, उनके अर्थ और नापने की इकाई में व्यापक अंतर है। यह अंतर अलग-अलग राज्यों में तो है ही, किसी एक राज्य के भीतर भी तमाम विसंगतियां और अंतर नजर आते हैं।


राज्यों को 2700 करोड़ रुपये की सहायता देने का प्रस्ताव
वित्त मंत्रालय ने गांवों में जमीन के रिकॉर्ड के आधुनिकीकरण और डिजिटाइजेशन के लिए राज्यों को चरणबद्ध तरीके से 2700 करोड़ रुपये की सहायता देने का प्रस्ताव दिया है। इसमें जमीन की रजिस्ट्री की प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन करने का काम भी शामिल है।
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