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होलिका दहन का समय और महत्व

होलिका दहन पर शुभ संयोग

सदभावना न्यूज़@धार्मिक संवाददाता की रिपोर्ट 

होलिका दहन की अग्नि में हर चिंता खाक हो जाती है, दुखों का नाश हो जाता है ज्योतिषियों का कहना है कि होली पर अगर आप विधि विधान से परिक्रमा कर सही प्रसाद चढ़ा दें तो खाली झोली भरते देर नहीं लगेगी. क्‍योंकि इस बार होलिका दहन पर बेहद शुभ संयोग बन रहा है. होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि में करना चाहिए. 1 मार्च को सुबह 8 बजकर 58 मिनट से पूर्णिमा तिथि लग रही है, लेकिन इसके साथ भद्रा भी लगा होगा.
होलिका दहन की अग्नि में हर चिंता खाक हो जाती है, दुखों का नाश हो जाता है और इच्छाओं के पूर्ण होने का वरदान मिलता है.होलिका दहन की लपटें बहुत शुभकारी होती हैं.  बुराई पर अच्छाई की जीत के इस पर्व में जितना महत्व रंगों का है, उतना ही होलिका दहन का भी है. ये मान्यता है कि विधि विधान से होलिका पूजा और दहन करने से मुश्किलों को खत्म होते देर नहीं लगती.

ऐसा नियम है कि भद्रा काल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए. शाम में 7 बजकर 37 मिनट पर भद्रा समाप्त हो जाएगा. इसके बाद से होलिका दहन किया जाना शुभ रहेगा. होलिका दहन के लिए तीन चीजों का एक साथ होना बहुत ही शुभ होता है. पूर्णिमा तिथि हो, प्रदोष काल हो और भद्रा ना लगा हो.

इस साल होलिका दहन पर ये तीनों संयोग बन रहे हैं, इसलिए होली आनंददायक रहेगी. इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 26 मिनट से लेकर 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.

पूर्णिमा होने से चंद्र का बल भी सूर्य को मिलेगा, जिसके कारण इस शुभ ग्रह स्थितियों के बीच अगर आप व्यापार से जुड़े फैसले, धन या शिक्षा संबंधी मामलों में अगर कोई फैसला लेते हैं तो आपको निश्चय ही सफलता की प्राप्ति होगी. इतना ही नहीं अगर आप लंबे समय से किसी बीमारी से परेशान हैं या फिर शत्रुओं की बढ़ती संख्या ने आपकी चिंता बढ़ा रखी है तो इस बार होलिका दहन की लपटों में आपकी समस्त चिंताएं जलकर खाक हो जाएंगी.

होलिका दहन की पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य को नहीं भजता, तो वह क्रुद्ध हो उठा और अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाएं; क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुँचा सकती. किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गयी और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ. इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है. होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं.

क्या है परिक्रमा का महत्व?


होलिका पूजा और दहन में परिक्रमा बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. कहते हैं परिक्रमा करते हुए अगर अपनी इच्छा कह दी जाए तो वो सच हो जाती है.

परिक्रमा के अलावा होलिका दहन में उपलों को जलाना भी होता है बेहद जरूरी. कितने उपले जलाएं, किस आकार के उपले जलाएं ये भी आपको अपनी मनोकामना और श्रद्धा के हिसाब से तय करना होगा.

परिक्रमा और उपले तो आपके सपनों को परवान चढ़ाएंगे ही, प्रसाद की अहमियत भी कुछ कम नहीं. चाहे आपको सुख समृद्धि की दरकार हो या फिर विदेश यात्रा करनी हो, सवाल नई नौकरी का हो या फिर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद चाहिए, होलिका पूजन से आपकी सभी इच्छाएं भी पूरी हो सकती हैं ! सदभावना न्यूज़ @धार्मिक संवाददाता की रिपोर्ट 
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