मोबाइल नेटवर्क-इंटरनेट सेवा ठप, जानें तालिबानी सरकार ने क्यों उठाया ये कदम?
मोबाइल नेटवर्क-इंटरनेट सेवा ठप, जानें तालिबानी सरकार ने क्यों उठाया ये कदम?
तालिबान ने अफगानिस्तान में इंटरनेट और टेलीकॉम सेवाओं को बंद कर दिया है। फाइबर ऑप्टिक केबल काटने से संचार ठप हो गया है और इंटरनेट कनेक्टिविटी 1% से भी कम रह गई है। बैंकिंग ट्रेडिंग शिक्षा और परिवहन जैसे क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। तालिबान के अनुसार यह फैसला अनैतिकता को रोकने के लिए लिया गया है।
अफगानिस्तान में इंटरनेट और टेलिकॉम सेवाएं बंद। फाइल फोटो
तालिबान ने अफगानिस्तान में इंटरनेट और टेलीकॉम सेवाओं को बंद कर दिया है। फाइबर ऑप्टिक केबल काटने से संचार ठप हो गया है और इंटरनेट कनेक्टिविटी 1% से भी कम रह गई है। बैंकिंग ट्रेडिंग शिक्षा और परिवहन जैसे क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। तालिबान के अनुसार यह फैसला अनैतिकता को रोकने के लिए लिया गया है।

तालिबान ने अफगानिस्तान में इंटरनेट और टेलिकॉम सेवाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया है। सोमवार को एक सरकारी आदेश के बाद देशभर में फैले फाइबर ऑप्टिक केबल को काट दिया गया है जिससे पूरा संचार ठप पड़ गया।
ग्लोबल इंटरनेट निगरानी संस्था नेटबलॉक के अनुसार देशभर में इंटरनेट कनेक्टिविटी सामान्य स्तर 1 प्रतिशत से भी कम रही। कम्युनिकेशन ब्लैकआउट की वजह से बैंकिंग, ट्रेडिंग, शिक्षा, परिवहन साथ ही साथ सीमा शुल्क भी पूरी तरह से प्रभावित हुआ है।
आखिर क्यों किया गया इंटरनेट ब्लैकआउट?
सितंबर महीने की शुरुआत से अफगानिस्तान में इंटरनेट बैन करने की प्रतिक्रिया शुरू कर दी गई थी। सितंबर के पहले हफ्ते में तालिबानी अधिकारियों ने कई शहरों में फाइबर ऑप्टिक केबल को काटने का अभियान शुरू कर दिया था। समय के साथ ये अभियान बढ़ता चला गया। बीते 16 सितंबर को बल्ख प्रान्त के प्रवक्ता अताउल्लाह जैद ने उत्तर में फाइबर ऑप्टिक सेवाओं को काट दिया, उनका कहना था की अधिकारियों ने ये फैसला इसलिए लिया है ताकि 'अनैतिकता' को रोका जा सके। जैद ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा कि, 'ये फैसला अनैतिक गतिविधियों को रोकने के लिए लिया गया है देशभर में व्यापक कनेक्टिविटी के लिए दूसरे विकल्प लागू करेंगे। '
तालिबानी सरकार आने के बाद पहली बार हुआ ब्लैकआउट
साल 2021 में तालिबानी सरकार के सत्ता में आने और देशभर में इस्लामिक कानून का एक सख्त वर्जन लाने के बाद ये पहला मौका है जब देश में संचार सेवाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया गया हो। इंटरनेट सेवा पूरी तरह से ठप होने के बाद लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इंटरनेट बैन - महिलाओं की शिक्षा और रोजगार के लिए चुनौती
अफगानिस्तान जहां तालिबान सरकार के आने के बाद पहले से ही महिलाओं की शिक्षा और रोजगार एक बड़ी समस्या बनी हुई है। इंटरनेट के पूरी तरह से बैन होने के बाद रही कसर भी पूरी कर देती है। इंटरनेट पर बैन महिलाओं को शिक्षा और रोजगार से कोसो दूर लेकर जाएगा। अब ये देखना महत्वपूर्ण होगा की सरकार संचार सेवाओं के दूसरे विकल्पों पर कितना ध्यान देती है.
ग्लोबल इंटरनेट निगरानी संस्था नेटबलॉक के अनुसार देशभर में इंटरनेट कनेक्टिविटी सामान्य स्तर 1 प्रतिशत से भी कम रही। कम्युनिकेशन ब्लैकआउट की वजह से बैंकिंग, ट्रेडिंग, शिक्षा, परिवहन साथ ही साथ सीमा शुल्क भी पूरी तरह से प्रभावित हुआ है।
आखिर क्यों किया गया इंटरनेट ब्लैकआउट?
सितंबर महीने की शुरुआत से अफगानिस्तान में इंटरनेट बैन करने की प्रतिक्रिया शुरू कर दी गई थी। सितंबर के पहले हफ्ते में तालिबानी अधिकारियों ने कई शहरों में फाइबर ऑप्टिक केबल को काटने का अभियान शुरू कर दिया था। समय के साथ ये अभियान बढ़ता चला गया। बीते 16 सितंबर को बल्ख प्रान्त के प्रवक्ता अताउल्लाह जैद ने उत्तर में फाइबर ऑप्टिक सेवाओं को काट दिया, उनका कहना था की अधिकारियों ने ये फैसला इसलिए लिया है ताकि 'अनैतिकता' को रोका जा सके। जैद ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा कि, 'ये फैसला अनैतिक गतिविधियों को रोकने के लिए लिया गया है देशभर में व्यापक कनेक्टिविटी के लिए दूसरे विकल्प लागू करेंगे। '
तालिबानी सरकार आने के बाद पहली बार हुआ ब्लैकआउट
साल 2021 में तालिबानी सरकार के सत्ता में आने और देशभर में इस्लामिक कानून का एक सख्त वर्जन लाने के बाद ये पहला मौका है जब देश में संचार सेवाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया गया हो। इंटरनेट सेवा पूरी तरह से ठप होने के बाद लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इंटरनेट बैन - महिलाओं की शिक्षा और रोजगार के लिए चुनौती
अफगानिस्तान जहां तालिबान सरकार के आने के बाद पहले से ही महिलाओं की शिक्षा और रोजगार एक बड़ी समस्या बनी हुई है। इंटरनेट के पूरी तरह से बैन होने के बाद रही कसर भी पूरी कर देती है। इंटरनेट पर बैन महिलाओं को शिक्षा और रोजगार से कोसो दूर लेकर जाएगा। अब ये देखना महत्वपूर्ण होगा की सरकार संचार सेवाओं के दूसरे विकल्पों पर कितना ध्यान देती है.
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