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पीएमएफएमई योजना की सफलता में डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स पर्सन की भूमिका महत्वपूर्ण : एसीएस श्री राजन

पीएमएफएमई योजना की सफलता में डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स पर्सन की भूमिका महत्वपूर्ण : एसीएस श्री राजन

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम योजना के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन में डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स पर्सन की भूमिका महत्वपूर्ण है। डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स पर्सन और बैंक मिलकर योजनाओं के प्रकरणों की स्वीकृति में समन्वय से कार्य करें, जिससे 7 हजार प्रकरण स्वीकृति का लक्ष्य समय-सीमा में प्राप्त किया जा सकें। यह बात अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण श्री अनुपम राजन ने आरसीव्हीपी नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी के सभागार में पीएमएफएमई योजनान्तर्गत बैंकर्स और डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स पर्सन की संयुक्त कार्यशाला में कहीं। उन्होंने कहा कि राज्य शासन द्वारा जिन राज्यों में पीएमएफएमई योजना में बेहतर कार्य हुआ है, वहाँ डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स पर्सन को केस स्टेडी के लिए भेजा जायेगा।

अपर मुख्य सचिव श्री राजन ने कहा कि कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए आवश्यक है कि किसानों को उद्यानिकी फसलों की ओर प्रेरित किया जाये, उद्यानिकी फसलों को खाद्य प्र-संस्करण से परिष्कृत किया जाये। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए ही भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम योजना प्रारंभ की गई है। मध्यप्रदेश में योजना का क्रियान्वयन प्रभावी ढंग से किया गया है। योजना के लक्ष्यों की प्रा‍प्ति के लिये जिला स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। नाबार्ड और एनआरएलएम के स्व-सहायता संगठनों से समन्वय स्थापित कर ऋण प्रकरण तैयार कराये जायें।

आयुक्त उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण श्रीमती प्रीति मैथिल ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य डिस्ट्रिक रिसोर्स पर्सन और बैंकर्स को एक मंच पर लाकर योजना के क्रियान्वयन को आसान बनाना है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कृषि उद्योग समागम के माध्यम से खाद्य प्र-संस्करण इकाइयों को प्रोत्साहित करने का कार्य प्राथमिकता के साथ किया जा रहा है। प्रत्येक जिले में अच्छे ऋण प्रकरण तैयार हो सके, बैंकर्स प्रकरणों का गंभीरता से अध्ययन कर समय-सीमा में स्वीकृति प्रदान करें, इस प्रकिया में रिर्सोस पर्सन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि छोटे और नये उद्यमियों को नवीनतम उपकरण उपलब्ध कराये जायें, जिससे उनकी उत्पादन लागत नियंत्रित रहेगी। उन्होंने कहा कि आपसी संवाद की यह प्रक्रिया भविष्य में भी जारी रखी जायेगी।

कार्यशाला में भोपाल, ग्वालियर, भिंड, खरगौन, शिवपुरी जिले से आये रिसोर्स पर्सन और विशेषज्ञों द्वारा अनुभव साझा किए।

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