जब पर्दे पर उतरी महेश भट्ट की मां शिरीन मोहम्मद की कहानी, दादी बनी थीं बेटी पूजा भट्ट
जब पर्दे पर उतरी महेश भट्ट की मां शिरीन मोहम्मद की कहानी, दादी बनी थीं बेटी पूजा भट्ट
महेश भट्ट हिंदी सिनेमा के मशहूर निर्देशक ने अपने करियर में ऐसी कई फिल्में बनाई हैं जिनकी कहानियां दिल को छू जाती हैं। एक समय था जब उनकी हर फिल्म सुर्खियों में रहती थी। खास बात यह है कि उन्होंने एक फिल्म के जरिए अपनी मां शिरीन मोहम्मद अली की जिंदगी की सच्चाई को बड़े पर्दे पर उतारा जिसने दर्शकों को भावुक कर दिया और गहरी छाप छोड़ी थी।
महेश भट्ट ने पर्दे पर दिखाई थी मां की कहानी (Photo Credit- X)
हिंदी सिनेमा के मशहूर निर्देशक, निर्माता और लेखक महेश भट्ट भले ही इन दिनों फिल्मों से दूरी बनाए हुए हैं, लेकिन उनकी सोच और बेबाक अंदाज आज भी सुर्खियों में रहता है। सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर बोलने वाले महेश भट्ट ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है, जो इस समय देश में फैली नफरत और विभाजन के माहौल के बीच एकता और इंसानियत की मिसाल बन गया है।
जब मां ने दी जिंदगी की सबसे बड़ी सीख
हालिया इंटरव्यू में महेश भट्ट ने अपने बचपन की एक खास याद साझा की। उन्होंने बताया कि उनकी मां शिरीन मोहम्मद अली, जो मुस्लिम थीं, उन्हें बचपन में नहलाते वक्त एक खास बात सिखाया करती थीं। महेश ने कहा, “मां कहती थीं कि तू एक नागर ब्राह्मण का बेटा है, तेरा गोत्र भार्गव है, लेकिन जब कभी डर लगे तो 'या अली मदद' बोल दिया कर।” यह वाक्य उनके दिल में गहरे बैठ गया और उन्होंने बताया कि यही तहजीब, यही मेल-जोल की भावना उस दौर की खूबसूरती थी, जो आज खोती जा रही है।
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महेश भट्ट का यह बयान उस वक्त आया है जब देश में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद गम का माहौल है और सोशल मीडिया पर धार्मिक भेदभाव की बातें फैल रही हैं। ऐसे माहौल में महेश भट्ट की यह बात एक संवेदनशील और इंसानियत भरा संदेश देती है कि मजहब के नाम पर बैर पालने से सिर्फ नुकसान ही होता है।
महेश भट्ट: एक सशक्त फिल्मकार
76 वर्षीय महेश भट्ट भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली फिल्ममेकर्स में से एक हैं। उन्होंने 'अर्थ', 'सारांश', 'नाम', 'आशिकी', 'दिल है कि मानता नहीं', 'सड़क', 'जख्म' जैसी फिल्मों से समाज के कई पहलुओं को छुआ है। डायरेक्शन के साथ-साथ उन्होंने 'सारांश' और 'अर्थ' की स्क्रिप्ट भी खुद लिखी। बतौर निर्माता उन्होंने 'कलयुग', 'गैंगस्टर', 'जन्नत', 'मर्डर सीरीज', 'आशिकी 2' जैसी सफल फिल्मों को जन्म दिया।
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Photo Credit- X
‘जख्म’ में दिखाई मां की कहानी
1998 में आई फिल्म ‘जख्म’ उनके जीवन की सबसे निजी फिल्मों में से एक थी। यह फिल्म उनकी मां की ज़िंदगी पर आधारित थी और इसमें पूजा भट्ट ने उनकी मां का किरदार निभाया था। फिल्म में अजय देवगन, सोनाली बेंद्रे, और नागार्जुन जैसे कलाकारों ने शानदार अभिनय किया और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भी सफल रही। इस फिल्म के गाने आज भी लोगों के बीच काफी पॉपुलर है। फिल्म को आप अमेजन प्राइम वीडियो पर देख सकते हैं।
महेश भट्ट हिंदी सिनेमा के मशहूर निर्देशक ने अपने करियर में ऐसी कई फिल्में बनाई हैं जिनकी कहानियां दिल को छू जाती हैं। एक समय था जब उनकी हर फिल्म सुर्खियों में रहती थी। खास बात यह है कि उन्होंने एक फिल्म के जरिए अपनी मां शिरीन मोहम्मद अली की जिंदगी की सच्चाई को बड़े पर्दे पर उतारा जिसने दर्शकों को भावुक कर दिया और गहरी छाप छोड़ी थी।

हिंदी सिनेमा के मशहूर निर्देशक, निर्माता और लेखक महेश भट्ट भले ही इन दिनों फिल्मों से दूरी बनाए हुए हैं, लेकिन उनकी सोच और बेबाक अंदाज आज भी सुर्खियों में रहता है। सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर बोलने वाले महेश भट्ट ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है, जो इस समय देश में फैली नफरत और विभाजन के माहौल के बीच एकता और इंसानियत की मिसाल बन गया है।
जब मां ने दी जिंदगी की सबसे बड़ी सीख
हालिया इंटरव्यू में महेश भट्ट ने अपने बचपन की एक खास याद साझा की। उन्होंने बताया कि उनकी मां शिरीन मोहम्मद अली, जो मुस्लिम थीं, उन्हें बचपन में नहलाते वक्त एक खास बात सिखाया करती थीं। महेश ने कहा, “मां कहती थीं कि तू एक नागर ब्राह्मण का बेटा है, तेरा गोत्र भार्गव है, लेकिन जब कभी डर लगे तो 'या अली मदद' बोल दिया कर।” यह वाक्य उनके दिल में गहरे बैठ गया और उन्होंने बताया कि यही तहजीब, यही मेल-जोल की भावना उस दौर की खूबसूरती थी, जो आज खोती जा रही है।
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महेश भट्ट का यह बयान उस वक्त आया है जब देश में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद गम का माहौल है और सोशल मीडिया पर धार्मिक भेदभाव की बातें फैल रही हैं। ऐसे माहौल में महेश भट्ट की यह बात एक संवेदनशील और इंसानियत भरा संदेश देती है कि मजहब के नाम पर बैर पालने से सिर्फ नुकसान ही होता है।
महेश भट्ट: एक सशक्त फिल्मकार
76 वर्षीय महेश भट्ट भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली फिल्ममेकर्स में से एक हैं। उन्होंने 'अर्थ', 'सारांश', 'नाम', 'आशिकी', 'दिल है कि मानता नहीं', 'सड़क', 'जख्म' जैसी फिल्मों से समाज के कई पहलुओं को छुआ है। डायरेक्शन के साथ-साथ उन्होंने 'सारांश' और 'अर्थ' की स्क्रिप्ट भी खुद लिखी। बतौर निर्माता उन्होंने 'कलयुग', 'गैंगस्टर', 'जन्नत', 'मर्डर सीरीज', 'आशिकी 2' जैसी सफल फिल्मों को जन्म दिया।
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Photo Credit- X
‘जख्म’ में दिखाई मां की कहानी
1998 में आई फिल्म ‘जख्म’ उनके जीवन की सबसे निजी फिल्मों में से एक थी। यह फिल्म उनकी मां की ज़िंदगी पर आधारित थी और इसमें पूजा भट्ट ने उनकी मां का किरदार निभाया था। फिल्म में अजय देवगन, सोनाली बेंद्रे, और नागार्जुन जैसे कलाकारों ने शानदार अभिनय किया और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भी सफल रही। इस फिल्म के गाने आज भी लोगों के बीच काफी पॉपुलर है। फिल्म को आप अमेजन प्राइम वीडियो पर देख सकते हैं।
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Mirchmasala
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