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PCC चीफ के चुनाव प्रचार पर रोक लगाने की मांग: वीडी बोले-जीतू पटवारी दिमागी संतुलन खो चुके हैं, कानून व्यवस्था के लिए खतरा

PCC चीफ के चुनाव प्रचार पर रोक लगाने की मांग: वीडी बोले-जीतू पटवारी दिमागी संतुलन खो चुके हैं, कानून व्यवस्था के लिए खतरा


MP Politics News: वीडी शर्मा ने चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर जीतू पटवारी के चुनाव प्रचार पर रोक लगाने की मांग की है। पत्र में लिखा है कि पटवारी दिमागी संतुलन खो चुके हैं। प्रदेश में आक्रोश है। कभी भी कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो सकता है।




मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर पटवारी के चुनाव प्रचार पर रोक लगाने की मांग की है। वीडी ने पत्र में लिखा है कि कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी जोबट में गैंगरेप पीड़ित बालिका के घर गए और परिजनों की फोटो वायरल कर पहचान उजागर की। ग्वालियर में आरक्षित वर्ग की महिला और पूर्व मंत्री इमरती देवी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी। CM डॉ. मोहन यादव को चुल्लू भर पानी में डूब मरने की सलाह दे डाली। भिंड में पीएम की तुलना रावण से कर डाली। शिकायत चुनाव आयोग से लगातार की गई है। वीडी ने पत्र में लिखा है कि जीतू पटवारी दिमागी संतुलन खो चुके हैं। इस कारण पटवारी के चुनाव प्रचार पर तत्काल रोक लगाई जाए।

कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो सकता
वीडी ने अपने पत्र में कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरक्षित वर्ग की महिला इमरती देवी के बारे में दिए गए वक्तव्यों से स्पष्ट होता है कि जीतू पटवारी अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। उनके इन वक्तव्यों से प्रदेश में आक्रोश है और कभी भी कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो सकता है। जिसके कारण लोकसभा के तीसरे और चौथे चरण के चुनाव प्रभावित हो सकते हैं। वीडी ने चुनाव आयोग से कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी द्वारा चुनाव प्रचार किए जाने पर तत्काल रोक लगाई जाए, ताकि चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हो सके।

पोलिंग एजेंट के खर्च को प्रत्याशी के खाते में नहीं जोड़ने की मांग
इधर भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा है। जिसमें प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों से पोलिंग एजेंट के खर्च को प्रत्याशी के खाते में नहीं जोड़ने की मांग की गई है। ज्ञापन में लिखा है कि भाजपा पोलिंग एजेंट के रूप में कार्यकर्ताओं को भेजती है। जो स्वेच्छा से यह काम करते हैं। उन्हें इसके लिए किसी भी प्रकार का मानदेय नहीं दिया जाता है। अगर प्रशासन की ओर से 400 रुपए प्रति पोलिंग एजेंट भुगतान जोड़ा जाता है। तो प्रत्याशी का बेवजह खर्चा बढ़ता है। इसलिए पत्र में पोलिंग एजेंटों को भुगतान करने के प्रावधान को विलोपित करने की मांग की गई है।
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