कैपिटल गेन टैक्स से जुड़ी जटिलताओं को दूर कर सकती है सरकार, टैक्स विशेषज्ञों की राय
कैपिटल गेन टैक्स से जुड़ी जटिलताओं को दूर कर सकती है सरकार, टैक्स विशेषज्ञों की राय
शेयर बाजार से प्राप्त लॉन्ग टर्म और शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर समान टैक्स करने की खबर चल जाने से गत शुक्रवार को बाजार में 1000 अंक से अधिक की गिरावट हो गई। बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक्स पर कहना पड़ा कि यह बात पूरी तरह से अफवाह है। हालांकि टैक्स विशेषज्ञ कह रहे हैं कि कैपिटल गेन टैक्स को लेकर कई चीजें अस्पष्ट और जटिल हैं।

शेयर बाजार से प्राप्त लॉन्ग टर्म और शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर समान टैक्स करने की खबर चल जाने से गत शुक्रवार को बाजार में 1000 अंक से अधिक की गिरावट हो गई। बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक्स पर कहना पड़ा कि यह बात पूरी तरह से अफवाह है। हालांकि टैक्स विशेषज्ञ कह रहे हैं कि कैपिटल गेन टैक्स को लेकर कई चीजें अस्पष्ट और जटिल हैं।

कैपिटल गेन टैक्स को लेकर कई चीजें अस्पष्ट और जटिल हैं।
शेयर बाजार से प्राप्त लॉन्ग टर्म और शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर समान टैक्स करने की खबर चल जाने से गत शुक्रवार को बाजार में 1,000 अंक से अधिक की गिरावट हो गई। बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक्स पर यह कहना पड़ा कि यह बात पूरी तरह से अफवाह है और इस मामले में वित्त मंत्रालय से सच्चाई जानने की आवश्यकता है।
हालांकि टैक्स विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि कैपिटल गेन टैक्स को लेकर कई चीजें अस्पष्ट और जटिल है जिसे साफ और करदाताओं के लिए आसान बनाने की आवश्यकता है। उम्मीद की जा रही है नई सरकार के गठन के बाद इनमें बदलाव की संभावना है।
टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि कैपिटल गेन टैक्स सिर्फ शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर ही नहीं लगता है, म्युचुअल फंड, प्रोपर्टी की बिक्री, गैर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर के हस्तांतरण जैसी कई चीजों पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इनसे जुड़े टैक्स में जटिलताएं हैं जिसे करदाता ठीक से समझ नहीं पाते हैं, इसलिए नई सरकार इसमें बदलाव कर सकती है। टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) को लेकर भी डिडक्टर को समस्याएं आ रही हैं और इनमें भी बदलाव हो सकता है। बड़ी संख्या में टीडीएस डिडक्टर को नोटिस आ रहे हैं।
किस तरह की होती है दिक्कत?
टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी के पार्टनर विवेक जालान ने बताया कि अप्रत्यक्ष कर की दुरुस्त व्यवस्था के लिए जीएसटी प्रणाली लाई गई, वैसे ही प्रत्यक्ष कर एवं उससे जुड़े कैपिटल गेन टैक्स, टीडीएस से जुड़ी जटिलताओं को दूर करने के लिए नई सरकार प्रत्यक्ष कर की नई संहिता ला सकती है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि प्रोपर्टी बेचने पर भी कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इसकी गणना को लेकर अस्पष्टता है।
मान लीजिए 31 मार्च को प्रॉपर्टी बेचने का राजीनामा हुआ और कुछ एडवांस लिया गया। प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री अप्रैल या मई में हुई तो कैपिटल गेन का वित्त वर्ष कौन सा होगा, इसे लेकर स्पष्ट व्यवस्था नहीं क्योंकि राजीनामा व रजिस्ट्री का वित्त वर्ष बदल गया। म्युचुअल फंड में निवेश पर होने वाली कमाई पर लगने वाले टैक्स के बारे में भी छोटे निवेशकों को साफ जानकारी नहीं है।
कैपिटल गेन टैक्स में सुधार की जरूरत
टैक्स विशेषज्ञ एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) असीम चावला कहते हैं कि कैपिटल गेन टैक्स में सुचारू सुधार की जरूरत है और इसे करदाताओं के अनुकूल बनाया जाना चाहिए। गैर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर हस्तांतरण के मूल्यांकन व उस पर टैक्स निर्धारित जैसी कई चीजें अभी जटिल हैं।
शेयर बाजार में शेयर खरीदने के 12 माह से कम समय में शेयर की बिक्री कर मुनाफा कमाते हैं तो उसे शार्ट टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है और मुनाफे पर 15 प्रतिशत टैक्स सरकार लेती है। एक साल के बाद बिक्री पर होने वाले मुनाफे को लॉन्ग टर्म मुनाफा कहा जाता है जिस पर 10 प्रतिशत का टैक्स लगता है।
शेयर बाजार से प्राप्त लॉन्ग टर्म और शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर समान टैक्स करने की खबर चल जाने से गत शुक्रवार को बाजार में 1,000 अंक से अधिक की गिरावट हो गई। बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक्स पर यह कहना पड़ा कि यह बात पूरी तरह से अफवाह है और इस मामले में वित्त मंत्रालय से सच्चाई जानने की आवश्यकता है।
हालांकि टैक्स विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि कैपिटल गेन टैक्स को लेकर कई चीजें अस्पष्ट और जटिल है जिसे साफ और करदाताओं के लिए आसान बनाने की आवश्यकता है। उम्मीद की जा रही है नई सरकार के गठन के बाद इनमें बदलाव की संभावना है।
टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि कैपिटल गेन टैक्स सिर्फ शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर ही नहीं लगता है, म्युचुअल फंड, प्रोपर्टी की बिक्री, गैर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर के हस्तांतरण जैसी कई चीजों पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इनसे जुड़े टैक्स में जटिलताएं हैं जिसे करदाता ठीक से समझ नहीं पाते हैं, इसलिए नई सरकार इसमें बदलाव कर सकती है। टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) को लेकर भी डिडक्टर को समस्याएं आ रही हैं और इनमें भी बदलाव हो सकता है। बड़ी संख्या में टीडीएस डिडक्टर को नोटिस आ रहे हैं।
किस तरह की होती है दिक्कत?
टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी के पार्टनर विवेक जालान ने बताया कि अप्रत्यक्ष कर की दुरुस्त व्यवस्था के लिए जीएसटी प्रणाली लाई गई, वैसे ही प्रत्यक्ष कर एवं उससे जुड़े कैपिटल गेन टैक्स, टीडीएस से जुड़ी जटिलताओं को दूर करने के लिए नई सरकार प्रत्यक्ष कर की नई संहिता ला सकती है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि प्रोपर्टी बेचने पर भी कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इसकी गणना को लेकर अस्पष्टता है।
मान लीजिए 31 मार्च को प्रॉपर्टी बेचने का राजीनामा हुआ और कुछ एडवांस लिया गया। प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री अप्रैल या मई में हुई तो कैपिटल गेन का वित्त वर्ष कौन सा होगा, इसे लेकर स्पष्ट व्यवस्था नहीं क्योंकि राजीनामा व रजिस्ट्री का वित्त वर्ष बदल गया। म्युचुअल फंड में निवेश पर होने वाली कमाई पर लगने वाले टैक्स के बारे में भी छोटे निवेशकों को साफ जानकारी नहीं है।
कैपिटल गेन टैक्स में सुधार की जरूरत
टैक्स विशेषज्ञ एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) असीम चावला कहते हैं कि कैपिटल गेन टैक्स में सुचारू सुधार की जरूरत है और इसे करदाताओं के अनुकूल बनाया जाना चाहिए। गैर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर हस्तांतरण के मूल्यांकन व उस पर टैक्स निर्धारित जैसी कई चीजें अभी जटिल हैं।
शेयर बाजार में शेयर खरीदने के 12 माह से कम समय में शेयर की बिक्री कर मुनाफा कमाते हैं तो उसे शार्ट टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है और मुनाफे पर 15 प्रतिशत टैक्स सरकार लेती है। एक साल के बाद बिक्री पर होने वाले मुनाफे को लॉन्ग टर्म मुनाफा कहा जाता है जिस पर 10 प्रतिशत का टैक्स लगता है।
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