गांधी विचार पदयात्रा’: मुख्यमंत्री ने कंडेल को दी सौगातें : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर कंडेल में खुलेगा महाविद्यालय
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज कंडेल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित ‘गांधी विचार पदयात्रा’ के दौरान एक विशाल आमसभा को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर कंडेल में महाविद्यालय प्रारंभ करने, माडमसिल्ली बांध का नामकरण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय श्री बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव के नाम पर करने, गर्मी की फसलों के लिए बांधों से पानी देने, पुल निर्माण और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री हजारी लाल जैन के नाम पर शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक शाला गोपालपुरी का नामकरण करने की घोषणा की।
ख्यमंत्री ने आमसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि कंडेल की पावन धरती पर अंग्रेजों द्वारा सिंचाई कर लगाने के निर्णय के विरोध में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय श्री बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव ने कंडेल नहर सत्याग्रह प्रारंभ किया था। इस नहर सत्याग्रह में शामिल होने के लिए महात्मा गांधी कंडेल आने वाले थे। यह सूचना मिलने पर अंग्रेजों को सिंचाई कर हटाना पड़ा। कंडेल नहर सत्याग्रह की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए कंडेल से ‘गांधी विचार पदयात्रा’ प्रारंभ की जा रही है। मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी के व्यक्तित्व और कृृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बापू ने किसानों, मजदूरों की लड़ाई लड़ी। नारी शिक्षा, नारी उत्थान और स्वावलम्बन के लिए काम किया। उन्होंने सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश को आजादी दिलाई। देश की आजादी के लिए इसके पहले कहीं भी अहिंसा आंदोलन नहीं हुआ था। महात्मा गांधी ने अहिंसा को आम जनता की ताकत बनाया और इसके बल पर देश को आजादी दिलायी।
श्री बघेल ने कहा कि यह महात्मा गांधी के विचारों का ही परिणाम है कि लोगों को अधिकार मिले। छत्तीसगढ़ सरकार महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चल रही है। राज्य सरकार ने किसानों का कर्जा माफ किया, किसानों को देश में सबसे अधिक 2500 रूपए प्रति क्विंटल धान का मूल्य दिया। तेन्दूपत्ता संग्रहण की दर बढ़ाकर चार हजार रूपए प्रतिमानक बोरा किया। आदिवासियों को उनकी जमीन लौटाने का काम किया। उन्होंने जनभागीदारी से गौठान बनाने में कंडेल के ग्रामीणों की सराहना करते हुए कहा कि गांव वालों ने गांव की भूमि से अतिक्रमण हटाकर गौठान बनाया। इसके लिए ग्रामवासियों ने स्वेच्छा से पांच लाख रूपए एकत्रित किए और श्रमदान किया।
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