हम हैं सूखे हुए तालाब पर बैठे हुए हंस,
"मेरी क़लम"
हम हैं सूखे हुए तालाब पर बैठे हुए हंस,
जो ताल्लुक को निभाते हुए मर जाते हैं,
ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिन,
लोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं।. 
इन दिनों भोपाल की Lifeline कहे जाने वाले बड़े तालाब में बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं। आप यही सोच रहे होने की तालाब में क्रिकेट, जी हां तालाब का जलस्तर इतना गिर गया कि तालाब मैदान नज़र आने लगा। यहां तालाब में पानी की जगह सूखा मैदान देख कर हैरानी हुई, यह वही तालाब है जिसमें पानी की लहरें अठखेलियाँ करती थीं, यह वही तालाब है जिसे भोपाल की शान कहा जाता है। पर आज इसको इस रूप में देखकर मन बहुत विचलित हुआ।पिछले साल की कुछ ख़बरें मेरी आँखों मे घूम रहीं थीं। जो मैने खुद समाचार पत्र और सदभावना न्यूज़ के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत कीं, जब भोपाल में बादल जमकर बरस रहे थे उस समय प्रशासन ने कुछ रसूखदारों और उनकी अवैध संपत्तियों को बचाने के लिए बड़ी झील के पानी का स्तर घटा दिया था। उस दिन प्रशासन सोया ना होता और रसूखदारों के आगे बेबस और लाचार ना हुआ होता तो आज भोपाल को यह दिन नहीं देखना पढ़ता।
जानकारी जुटाने पर पता चला कि तालाब पूरी तरह सूखने के कगार पर आ पहुंचा है। आपको बताते हुए बहुत दुख है कि जिस झील में पानी का क्षेत्रफ़ल पहले 31 स्क्वायर किलोमीटर हुआ करता था, वह अब सिमटकर महज़ 14 स्क्वायर किलोमीटर से भी कम रह गया है।
जो यहां के ज़िम्मेदार हैं शायद वो ज़िम्मेदारी की परिभाषा को नहीं समझ पा रहे हैं, उन्हें तो एक ही बात समझ आती है कि अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता।
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