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अभिनेत्री श्रीदेवी की मौत कैसे हुई?

बीती रात दुबई से एक भयानक ख़बर आई  कि काफ़ी देर तक इस पर यक़ीन नहीं हुआ और ज़्यादातर लोग इसे अफ़वाह बताते रहे या अफ़वाह होने की दुआ करने लगे.                   लेकिन कुछ ही देर में ख़बर की पुष्टि हो गई.54 वर्षीय श्रीदेवी दुनिया को अलविदा कह गईं हे.

जाने केसे हुई श्रीदेवी की मोत???

सदभावना न्यूज़@दिल्ली ब्यूरो

नई दिल्ली: जानी मानी अभिनेत्री श्रीदेवी का बीती रात दुबई में निधन हो गया. बताया जा रहा है कि दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हुआ. श्रीदेवी के निधन की सूचना मिलते ही पूरा बॉलीवुड और उनके फैंस शोक में डूब गए. श्रीदेवी की जन्म 13 अगस्त 1963 को तमिलनाडु में हुआ था. उन्होंने बतौर बाल कलाकर अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. उसके बाद उन्होंने भारत की पहली महिला सुपरस्टार का सफर तय किया. श्रीदेवी का बॉलीवुड में प्रवेश 1978 के फिल्म सोलहवां सावन से हुआ था, लेकिन उन्होंने वर्ष 1983 की फिल्म हिम्मतवाला से खूब सुर्खियां बटोरीं. श्रीदेवी की सदमा, नागिन,निगाहें, मिस्टर इन्डिया, चालबाज़, लम्हे, खुदा गावाह और जुदाई फ़िल्में हैं. श्रीदेवी को अब तक पांच फिल्मफेयर अवार्ड मिल चुका है.

श्रीदेवी ने फिल्म प्रोड्यूसर बोनी कपूर से शादी की थी. श्रीदेवी और बोनी कपूर की दो बेटियां हैं. जाह्नवी कपूर और खुशी कपूर.  श्रीदेवी के निधन पर गायक आदनान सामी ने दुख व्यक्त करते हुए लिखा कि मेरे पास कोई शब्द नहीं है.

 आईए जानते हैं उस बीमारी के बारे में जो श्रीदेवी को बहुत दूर ले गई! 


क्या होता है कार्डिएक अरेस्ट?

लेकिन कार्डिएक अरेस्ट होता क्या है, ये इंसानी शरीर के लिए इतना ख़तरनाक क्यों साबित होता है और ये हार्ट फ़ेल होने या दिल का दौरा पड़ने से कैसे अलग है?


श्रीदेवी के निधन की ख़बरों में अचानक और आकस्मिक बार-बार पढ़ने को मिलेगा और इसकी वजह भी वाजिब है.

हार्ट.ओआरजी के मुताबिक दरअसल, कार्डिएक अरेस्ट अचानक होता है और शरीर की तरफ़ से कोई चेतावनी भी नहीं मिलती.

इसकी वजह आम तौर पर दिल में होने वाली इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी है, जो धड़कन का तालमेल बिगाड़ देती है.

इससे दिल की पम्प करने की क्षमता पर असर होता है और वो दिमाग़, दिल या शरीर के दूसरे हिस्सों तक ख़ून पहुंचाने में कामयाब नहीं रहता.

इसमें चंद पलों के भीतर इंसान बेहोश हो जाता है और नब्ज़ भी जाती रहती है.

अगर सही वक़्त पर सही इलाज न मिले तो कार्डिएक अरेस्ट के कुछ सेकेंड या मिनटों में मौत हो सकती है.

कार्डिएक अरेस्ट में मौत तय?

अमरीका में प्रैक्टिस कर रहे सीनियर डॉक्टर सौरभ बंसल ने बीबीसी हिन्दी को बताया, "ये काफ़ी दुखद है. किसी ने भी इसकी कल्पना नहीं की होगी."

"दरअसल, कार्डिएक अरेस्ट हर मौत का अंतिम बिंदु कहा जा सकता है. इसका मतलब है दिल की धड़कन बंद हो जाना और यही मौत का कारण है."

लेकिन इसकी वजह क्या होती है?

डॉक्टर बंसल बताते हैं, "इसके कारण अलग-अलग हो सकते हैं. आम तौर पर इसकी वजह दिल का बड़ा दौरा पड़ना हो सकता है."

"हालांकि बात ये भी है कि 54 साल की उम्र में आम तौर पर जानलेवा दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा कम रहता है."

"उन्हें दूसरी मेडिकल दिक्कतें पहले से भी रही हो सकती हैं, लेकिन ज़ाहिर है इसके बारे में हम लोग नहीं जानते."

ब्रिटिश हार्ट फ़ाउंडेशन के अनुसार दिल में इलेक्ट्रिकल सिग्नल की दिक्कतें शरीर में जब रक्त नहीं पहुंचाती तो वो कार्डिएक अरेस्ट की शक्ल ले लेता है.

जब इंसान का शरीर रक्त को पम्प करना बंद कर देता है तो दिमाग़ में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है.

ऐसा होने पर इंसान बेहोश हो जाता है और सांस आना बंद होने लगता है.

कैसे जानेंगे कि दिल का दौरा पड़नेवाला है

हो सकता है आपको भी आया हो हार्ट अटैक!

क्या कोई लक्षण दिखते हैं?

सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि कार्डिएक अरेस्ट आने से पहले इसके कोई लक्षण नहीं दिखते.

यही वजह है कि कार्डिएक अरेस्ट की सूरत में मौत होने का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है.

इसकी सबसे आम वजह असाधारण हार्ट रिदम बताई जाती है जिसे विज्ञान की भाषा में वेंट्रिकुलर फ़िब्रिलेशन कहा जाता है.

दिल की इलेक्ट्रिकल गतिविधियां इतनी ज़्यादा बिगड़ जाती हैं कि वो धड़कना बंद कर देता है और एक तरह से कांपने लगता है.

कार्डिएक अरेस्ट की कई वजहें हो सकती हैं, लेकिन दिल से जुड़ी कुछ बीमारियां इसकी आशंका बढ़ा देती हैं. वो ये हैं:

- कोरोनरी हार्ट की बीमारी

- हार्ट अटैक

- कार्डियोमायोपैथी

- कॉनजेनिटल हार्ट की बीमारी

- हार्ट वाल्व में परेशानी

- हार्ट मसल में इनफ़्लेमेशन

- लॉन्ग क्यूटी सिंड्रोम जैसे डिसऑर्डर

इसके अलावा कुछ दूसरे कारण हैं, जो कार्डिएक अरेस्ट को बुलावा दे सकते हैं, जैसे:

- बिजली का झटका लगना

- ज़रूरत से ज़्यादा ड्रग्स लेना

- हैमरेज जिसमें ख़ून का काफ़ी नुकसान हो जाता है

- पानी में डूबना


इससे बचना मुमकिन?


लेकिन क्या कार्डिएक अरेस्ट से रिकवर किया जा सकता है?

जी हां, कई बार छाती के ज़रिए इलेक्ट्रिक शॉक देने से इससे रिकवर किया जा सकता है. इसके लिए डिफ़िब्रिलेटर नामक टूल इस्तेमाल होता है.

ये आम तौर पर सभी बड़े अस्पतालों में पाया जाता है. इसमें मुख्य मशीन और शॉक देने के बेस होते हैं, जिन्हें छाती से लगाकर अरेस्ट से बचाने की कोशिश होती है.

लेकिन दिक्कत ये है कि अगर कार्डिएक अरेस्ट आने की सूरत में आसपास डिफ़िब्रिलेटर न हो तो क्या किया जाए?

जवाब है, CPR. इसका मतबल है कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन. इसमें दोनों हाथों को सीधा रखते हुए मरीज़ की छाती पर ज़ोर से दबाव दिया जाता है.

इसमें मुंह के ज़रिए हवा भी पहुंचाई जाती है.


हार्ट अटैक से कैसे अलग?


ज़्यादातर लोग कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक को एक ही मान लेते हैं. लेकिन ये सच नहीं है. दोनों में ख़ासा फ़र्क है.

हार्ट अटैक में तब आता है जब कोरोनरी आर्टिरी में थक्का जमने की वजह से दिल की मांसपेशियों तक ख़ून जाने के रास्ते में ख़लल पैदा हो जाए.

इसमें छाती में तेज़ दर्द होता है. हालांकि, कई बार लक्षण कमज़ोर होते हैं, लेकिन दिल को नुकसान पहुंचाने के लिए काफ़ी साबित होते हैं.

इसमें दिल शरीर के बाक़ी हिस्सों में ख़ून पहुंचाना जारी रखता है और मरीज़ होश में रह सकता है.

लेकिन जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक आता है, उसे कार्डिएक अरेस्ट का ख़तरा बढ़ जाता है.

और कार्डिएक अरेस्ट में दिल तुरंत आधार पर ख़ून पहुंचाना बंद कर देता है. यही वजह है कि इसका शिकार होने पर व्यक्ति अचानक बेहोश होता है और सांस भी बंद हो जाती है.


वजह क्या हो सकती है?


डॉक्टर बंसल के मुताबिक, "कार्डिएक अरेस्ट का मतलब है दिल की धड़कन का बंद होना. और हार्ट अटैक के मायने हैं दिल को पर्याप्त मात्रा में ख़ून न मिलना."

"हां, ये ज़रूर है कि ख़ून न मिलने की वजह से कार्डिएक अरेस्ट हो जाए. ऐसे में हार्ट अटैक इसकी कई वजहों में से एक है."

"एक ख़ून का थक्का कार्डिएक अरेस्ट की वजह बन सकता है. दिल के आसपास होने वाला फ़्लूइड इसका कारण बन सकता है."

"दिल के भीतर किसी तरह के इंफ़ेक्शन से भी कार्डिएक अरेस्ट हो सकता है. इसके अलावा भी कई वजह हो सकती हैं."

"दुबई में डॉक्टरों ने इस बात का पता लगाया होगा या लगा रहे होंगे कि श्रीदेवी को कार्डिएक अरेस्ट क्यों हुआ. शायद उन्हें अब तक इसकी वजह पता भी चल गई हो."


हार्ट अटैक में बचना आसान?

हार्ट अटैक में आर्टिरी का रास्ता रुकने से ऑक्सीजन वाला ख़ून दिल के एक ख़ास हिस्से तक नहीं पहुंचता.

अगर इसका रास्ता तुरंत आधार पर नहीं खोला जाता तो उसके ज़रिए दिल के जिस हिस्से तक ख़ून पहुंचता है, उसे काफ़ी नुकसान होना शुरू हो जाता है.

हार्ट अटैक के मामले में इलाज मिलने में जितनी देर होगी, दिल और शरीर को उतना ज़्यादा नुकसान होता जाएगा.

इसमें लक्षण तुरंत भी दिख सकते हैं और कुछ देर में भी. इसके अलावा हार्ट अटैक आने के कुछ घंटों या कुछ दिनों बाद तक इसका असर देखने को मिल सकता है.

सडन कार्डिएक अरेस्ट से अलग हार्ट अटैक में दिल की धड़कन बंद नहीं होती.

इसलिए कार्डिएक अरेस्ट की तुलना हार्ट अटैक में मरीज़ को बचाए जाने की संभावना कहीं ज़्यादा होती हैं.

दिल से जुड़ी ये दोनों बीमारियां आपस में गहरी जुड़ी हैं. दिक्कत ये भी है कि हार्ट अटैक के दौरान और उसकी रिकवरी के दौरान भी कार्डिएक अरेस्ट आ सकता है.

ऐसा ज़रूरी नहीं कि हार्ट अटैक आने पर अरेस्ट हो ही जाए, लेकिन आशंका ज़रूर रहती है.
सदभावना न्यूज़@दिल्ली ब्यूरो की रिपोर्ट 
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